इनसे मिलने से पहले सोचता था कि ये शायर, लेखक और कवि क्या बकवास लिखते है। अपने लेख को पढ़ाने के लिए क... इनसे मिलने से पहले सोचता था कि ये शायर, लेखक और कवि क्या बकवास लिखते है। अपने ले...
कल सुबह कब कहाँ फिर ठिकाना मिले आज पहलू में ले रातभर के लिए! कल सुबह कब कहाँ फिर ठिकाना मिले आज पहलू में ले रातभर के लिए!
ज़िन्दगी फिर चल पड़ी है, जाने कैसी चाह में. ज़िन्दगी फिर चल पड़ी है, जाने कैसी चाह में.
आइनों से बचकर अब तक रहे है हम यहां अब आइनों के शहर में हमें घुसकर जाना है. आइनों से बचकर अब तक रहे है हम यहां अब आइनों के शहर में हमें घुसकर जाना ...
उदास नग्मों की तान छेड़ी है ज़िंदगी ने हमें सरगम जो भरनी है भोर सी उजली जीस्त में घनी। उदास नग्मों की तान छेड़ी है ज़िंदगी ने हमें सरगम जो भरनी है भोर सी उजली जीस्त मे...
जात पात और धर्म बैठे तराजू की एक ओर हैं, समझ नहीं आता दूसरी ओर बैठा कौन है। जात पात और धर्म बैठे तराजू की एक ओर हैं, समझ नहीं आता दूसरी ओर बैठा कौन है।